जाने भोजशाला के बारे में कुछ तथ्य!!

ब्रिटिश म्यूजियम में कैद मां सरस्वती की इकलौती 1000 साल पुरानी चमत्कारी प्रतिमा बसंत पंचमी अर्थात मां सरस्वती का पूजन-अर्चन। धरती जब पीले फूलों का श्रृंगार करती है तब वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की अराधना की जाती है। आज हम आपको बताने जा रहे है सरस्वती मां के एकमात्र मंदिर के बारे में जहां मां सरस्वती साक्षात रुप में विराजित थी और आज ब्रिटिश म्यूजियम में कैद है। मां सरस्वती की यह मूर्ति चामात्कारी मानी जाती है । जी हां, धार की भोजशाला में राजा भोज ने सरस्वती मां की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की थी। महाराजा भोज के लिए कहा जाता है कि वे मां सरस्वती के पुत्र थे। धार की भोजशाला उनकी तपोभूमि थी। यहां राजा भोज की तपस्या और साधना से प्रसन्न हो कर मां सरस्वती ने स्वयं प्रकट हो दर्शन दिए थे। मां के दर्शन पाने के बाद राजा भोज ने ( 1010 से 1055) स्वयं अपने हाथों से इस अप्रतिम प्रतिमा को तराशा था। वहीं कुछ लोगों का मानना था कि प्रसिद्ध मूर्तिकार मंथल ने इस मूर्ति को तराशा। भूरे रंग की स्फटिक से निर्मित यह प्रतिमा अत्यंत ही चमत्कारिक, मनमोहक औऱ शांत मुद्रा वाली है।...